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Puraanic contexts of words like Tarpana / oblation, Tala / level, Taatakaa, Taapasa, Taamasa etc. are given here.

तमाल लक्ष्मीनारायण २.३७.५७(श्रीहरि द्वारा वन में धूम्रपानार्थक गृञ्जक व तमाल का सृजन), कथासरित् १२.६.३०(दक्षिण दिक् प्रान्त में तमाल वन वीथिका के होने का उल्लेख ) ।

 

तम्बु वायु ९६.१७७/२.३४.१७७(शार्ङ्गदेवा व वसुदेव - पुत्र ) ।

 

तर शिव १.१७.८४(अधर्म महिषारूढ कालचक्र को तरने का कथन), वायु ६८.३९/२.७.३९(तरण्य : प्रवाही के १० देव गन्धर्व पुत्रों में से एक ) ।

 

तरक्षु लिङ्ग १.२४.६३(१४वें द्वापर में व्यास ) ।

 

तरङ्ग स्कन्द ५.३.१९८.८३(भारताश्रम में देवी की तरङा नाम से स्थिति), कथासरित् १२.५.३३६(तरङ्गिणी नामक एक नदी ) । taranga

 

तरन्तुक - अरन्तुक वामन २२.५९(तरन्तुक व अरन्तुक नामक स्थानों के मध्य भाग के समन्तपञ्चक/कुरुक्षेत्र नाम से प्रसिद्ध होने का उल्लेख ) ।

 

तरल लक्ष्मीनारायण २.११८.९(सन्तारण द्विज की कन्या तरलिका द्वारा प्रतिदिन नैवेद्य बनाकर श्री विष्णु को अर्पण करना), ४.१०१.११९(कृष्ण - पत्नी तरला की युगलात्मक प्रजा का उल्लेख ) ।

 

तरस्वी वायु ९६.२५२(सुचारु? व साम्बा - पुत्र ) ।

 

तरु गरुड २.१०.६२(स्नान वस्त्रों से पतित अम्बु से तरुता प्राप्त पितरों की तृप्ति का कथन)

 

तरुण कथासरित् ७.६.४६(अजर नृप की वृद्धावस्था दूर करने के व्याज से कुटिल तरुणचन्द्र नामक वैद्य द्वारा नृप के विनाश की कथा ) ।

 

तर्क भागवत ८.२१.२(शास्त्रों में से एक तर्क का उल्लेख), वामन ९०.४१(निरालम्ब लोक में विष्णु की अप्रतर्क्य नाम से प्रतिष्ठा का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण ३.२१६.२(कुतर्कपुर के निवासी सञ्जयदेव नामक शिल्पकार की भगवान् द्वारा गज से रक्षा की कथा ) । tarka

 

तर्जनी नारद १.६६.११५(मेषेश की शक्ति तर्जनी का उल्लेख ) ।

 

तर्पण अग्नि ७२.३९(तर्पण विधि का वर्णन), गरुड १.२१५/२०७(देव, पितर आदि की तुष्टि हेतु तर्पण मन्त्र), नारद १.७६.११५(गणेश के तर्पणप्रिय होने का उल्लेख), १.८०.१२६(तर्पण में उपयोगी १६ द्रव्य, विविध प्रकार के तर्पण तथा फलों का कथन), पद्म १.२०.५५(तर्पण विधि का वर्णन), १.४९.२८(पितृ तर्पण की महिमा), मत्स्य १०२.१४(तर्पण विधि का वर्णन), शिव ५.१२.१(सब जीवों का तर्पण करने से जल के जीवन होने का उल्लेख), स्कन्द ३.१.५१.३८(तर्पण विधि), लक्ष्मीनारायण १.१६०(पत्नीव्रत व दामोदर द्विज द्वारा समस्त सृष्टि के तर्पण का वर्णन ) । tarpana

Short remark on tarpana by Dr. Fatah Singh

ऊपर से आने वाले शुद्ध आप:, प्राणों से ही हम तृप्त होते हैं। उसे ही तर्पण कहते हैं।

 

तल गरुड २.३२.१०७ / २.२२ (ब्रह्माण्ड में स्थित गुणों की पिण्ड में स्थिति के अन्तर्गत पाद के अधोभाग में तल, पादोर्ध्व में वितल, जानुओं में सुतल, सक्थि देश में महातल, ऊरुओं में तलातल, गुह्यदेश में रसातल तथा कटिप्रदेश में पाताल की स्थिति), ३.२३.३८(श्रीनिवास देह का तलातल आदि लोकों में विभाजन),  देवीभागवत ८.१८+(अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल तथा पाताल नामक सात तलों की महिमा का वर्णन), ब्रह्म १.१९(अतल, वितल, नितल, सुतल, तलातल, रसातल और पाताल नामक सात तलों के निवासियों तथा ऐश्वर्यादि का वर्णन), ब्रह्माण्ड १.२.२०.११ (तत्वल, सुतल, तलातल, अतल, तल, रसातल तथा पाताल नामक सप्त तल तथा उनके निवासियों आदि का वर्णन), लिङ्ग १.४५.९ (सप्त तलों व उनके निवासियों का वर्णन), वामन ९०.३७ (विभिन्न तलों में विष्णु के नाम, तल में विष्णु का सहस्रचरण नाम), वायु ५०.११ (पृथिवी के सात तलों अतल, सुतल, वितल, गभस्तल, महातल, श्रीतल तथा पाताल के निवासियों आदि का वर्णन), ९९.१२६/२.३७.१२२(तला : रौद्राश्व व घृताची की १० पुत्रियों में से एक), स्कन्द १.२.५० (पाताल आदि सात तलों की शरीर के अङ्गों में स्थिति - पादमूल पाताल व नाभि महीतल), २.२.२५.१४(हस्त तल में नित्य दर्पण की स्थिति होने से ताल होने का कथन), ७.१.३३० (तलस्वामी का संक्षिप्त माहात्म्य), ७.१.३३४ (तल की शिव ज्वाला से उत्पत्ति, तल द्वारा महेन्द्र दानव का वध, तल के नृत्य से ब्रह्माण्ड के पीडित होने पर विष्णु द्वारा मल्ल युद्ध में तल का पातन), लक्ष्मीनारायण २.७.५९ (तल राक्षस की पुत्री तलाजा का कपटपूर्ण हृदय से बाल हरि के समीप आगमन, बाल हरि का अपहरण, हरि के स्वरूप पर मोहन, हरि द्वारा तलाजा की मुक्ति का वर्णन), २.१०.२२ (पृथिवी देवी की प्रतिमा में पादों में पाताल, जङ्घा में रसातल, जानु में महातल, सक्थियों में तलातल, सक्थिमूल में सुतल, श्रोणियों में वितल, जघन में अतल तथा गर्भ में भूतल का निर्माण), ३.७.२ (अतल, वितल तथा सुतल के राजा चलवर्मा को तप के फलस्वरूप श्रीहरि की अचला भक्ति की प्राप्ति का वर्णन), ३.७.४९ (सत्यादि लोकों से थुरानन्द का निष्कासन, तप हेतु अतल लोक में गमन, शिव से वर प्राप्ति), ३.८.४९ (सुतल के राजा कपालहेतुक का युद्ध हेतु आगमन, हरि द्वारा सहस्रबाहुओं का कर्तन, कपालहेतुक का हरि - भक्त होकर स्वगृह गमन ) ; द्र. पणितल, पाताल, महातल,  । tala

 

तलक ब्रह्माण्ड १.२.३५.५१(कृत के सामग शिष्यों में से एक), २.३.६६.७० (तलकायन : कौशिक गोत्र के ऋषियों में से एक), भागवत १२.१.२५(हालेय - पुत्र, पुरीष भीरु - पिता, कलियुगी राजाओं का प्रसंग ) ।

 

तलातल ब्रह्माण्ड १.२.२०.२५(तलातल नामक तृतीय तल में स्थित पुरों के स्वामियों के नामोल्लेख), भागवत २.१.२६(तलातल के विराट् पुरुष की जङ्घा होने का उल्लेख ) ।

 

तल्प गणेश २.८८.९ (तल्पासुर द्वारा मञ्चक पर सुप्त पार्वती व गणेश का हरण, गणेश द्वारा तल्पासुर का वध ) ।

 

तस्कर स्कन्द ५.३.१५९.२४ (राज्ञी - गमन से दुष्ट तस्कर बनने का उल्लेख ) ।

 

ताटका विष्णु ४.४.८८(राम द्वारा विश्वामित्र के याग की रक्षा हेतु ताटका के वध का उल्लेख), वा.रामायण १.२४.२६ (मलद व करूष जनपद में ताटका नामक यक्षिणी की स्थिति, सुन्द - पत्नी, मारीच - माता ताटका द्वारा मलद व करूष जनपदों का उत्सादन /उजाडना), १.२५.६ (सुकेतु नामक यक्ष की पुत्री, ब्रह्मा के वरस्वरूप बल प्राप्ति, अगस्त्य मुनि के शाप से यक्षत्व से राक्षसत्व की प्राप्ति), १.२६ (राम द्वारा ताटका का वध ) ; द्र. ताडका । taatakaa/ tatakaa

 

ताटङ्क ब्रह्माण्ड ३.४.१५.२१ (ललिता को सूर्य व चन्द्रमा द्वारा ताटङ्क की भेंट ) ।

 

ताड गरुड २.३०.५३/२.४०.५३(मृतक के कर्णों में ताडपत्र देने का उल्लेख ), द्र. तालtaada

 

ताडका ब्रह्माण्ड २.३.५.३५ (राम द्वारा सुन्द - भार्या व मारीच - माता ताडका के वध का उल्लेख), वायु ६७.७२ (सुन्द - भार्या, ब्रह्मघ्न, मूक व मारीच - माता, राम द्वारा ताडका का वध), हरिवंश १.३.१०२(सुन्द - भार्या, मारीच - माता ) ; द्र. ताटका । taadakaa/ tadakaa

 

ताडन अग्नि ३४८.५ (एकाक्षराभिधान के अन्तर्गत ताडन अर्थ में क्ष अक्षर के प्रयुक्त होने का उल्लेख ) ।

 

ताण्डव गरुड ३.२९.५८(हैयंगवीन भक्षण काल में ताण्डव हरि के ध्यान का निर्देश), लिङ्ग १.१०६ (शिव के ताण्डव नृत्य के हेतु का कथन), स्कन्द ६.२५४ (शिव के ताण्डव नर्तन का वर्णन ) । taandava/ tandava

 

ताप पद्म ६.२२६.७(ताप का अर्थ : चक्र द्वारा विधिपूर्वक तप्त), ब्रह्म १.१२६.१ (आध्यात्मिक, आधिभौतिक तथा आधिदैविक नामक त्रिविध तापों का कथन), ब्रह्माण्ड १.२.३५.२९(तापनीय : याज्ञवल्क्य के १५ वाजिन् शिष्यों में से एक), वायु ६८.८/२.७.८(तापिन : दनु के १०० पुत्रों में से एक), विष्णु ६.५.१ (आध्यात्मिक आदि त्रिविध तापों का वर्णन), स्कन्द ५.३.१४१(तापेश्वर तीर्थ का माहात्म्य ; व्याध भीति से हरिणी का जल में मरण, व्याध का अनुताप), लक्ष्मीनारायण १.८३.३२(तापिनी : ६४ योगिनियों में से एक ) । taapa

 

तापस पद्म ३.१८.१०१ (तापसेश्वर तीर्थ का माहात्म्य), मत्स्य ११४.४९(दक्षिण के जनपदों में में से एक), १९१.१०२(तापसेश्वर : नर्मदा तटवर्ती तापसेश्वर तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य : मृगी का व्याध के भय से जल में गिरना, स्वर्ग प्राप्ति), वायु ४५.१२९(पश्चिम दिशा के जनपदों में से एक), योगवासिष्ठ ६.२.१८०+ (कुन्ददत्त ब्राह्मण व तापस मुनि का वृत्तान्त), लक्ष्मीनारायण ३.५.१ (ब्रह्मा के षष्ठ तापस वत्सर में रुद्र शासनार्थ नारायण के प्राकट्य का निरूपण), ३.४५.२० (तापसों को बदरी नामक लोक की प्राप्ति का उल्लेख ) । taapasa

 

तापी ब्रह्माण्ड १.२.१६.३२(विन्ध्य पर्वत से प्रसूत नदियों में से एक), मत्स्य ११४.२७(विन्ध्य पर्वत से प्रसूत नदियों में से एक), विष्णु २.३.११(ऋक्ष पर्वत से प्रसूत नदियों में से एक), स्कन्द ५.१.५०.४३ (तापी नदी : शिप्रा माहात्म्य के अन्तर्गत नदियों की उत्तरोत्तर श्रेष्ठता का कथन ) । taapee/ tapi

 

तामरसा ब्रह्माण्ड २.३.८.७६(भद्राश्व व घृताची की १० अप्सरा पुत्रियों में से एक, अत्रि - पत्नी ) ।

 

तामस गरुड १.८७.१३ (चतुर्थ तामस मनु के पुत्र, सप्तर्षि, देवगण, भगवदवतार तथा दैत्य नाश आदि का वर्णन), देवीभागवत ८.४.८ (प्रियव्रत व अपास्या - पुत्र, मन्वन्तर अधिपति होने का उल्लेख), १०.८.१७ (चतुर्थ मनु, प्रियव्रत - पुत्र, मन्त्र जप व देवी आराधना से राज्य प्राप्ति), ब्रह्माण्ड १.२.३६.४९ (तामस मनु के पुत्रों के नाम), भागवत ५.१.२८(प्रियव्रत - पुत्र, मन्वन्तर अधिपति प्रियव्रत की अन्य पत्नी से उत्पन्न ३ पुत्रों में से एक), ८.१.२७ (चतुर्थ मनु तामस के काल के इन्द्र, सप्तर्षि, देवताओं आदि के नामों का कथन), ८.५.२ (पञ्चम मनु रैवत के तामस के सहोदर होने का उल्लेख), मार्कण्डेय ७१ / ७४.४८ (तामसी योनि को प्राप्त माता से उत्पन्न होने के कारण तामस नाम प्राप्ति, मनु बनना, तामस मन्वन्तर के देवता, ऋषि, पुत्रादि का वर्णन), वायु २६.३६(१४ मुखों वाले ओङ्कार के उ स्वर वाले मुख से तामस मनु की उत्पत्ति का उल्लेख), ४५.१३६(पर्वताश्रयी देशों में से एक), ६२.३(६ अतीत मनुओं में से चतुर्थ), १०२.५४/२.४०.५४(सात्त्विक, राजसिक व तामसी वृत्तियों से गुण मात्राओं के प्रवर्तन का वर्णन), विष्णु ३.१.६(६ अतीत मनुओं में चतुर्थ), ३.१.१६(तामस मन्वन्तर के सप्तर्षियों, देवों, मनु - पुत्रों आदि का कथन), ३.१.२४(प्रियव्रत द्वारा विष्णु की आराधना से मन्वन्तराधिपति तामस आदि ४ पुत्रों की प्राप्ति का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण २.२३५.२६ (बालकृष्ण द्वारा भक्त तामसाक्षि चाण्डाल व उसके परिवार की जल से रक्षा तथा अन्न प्रदान करने का वृत्तान्त), ३.१५५.५९ (चतुर्थ मनु तामस के स्वराष्ट्र व उत्पलावती से जन्म का वृत्तान्त ) । taamasa

 

तामसी ब्रह्माण्ड ३.४.४४.८८(योगिनी न्यास के अन्तर्गत नाभि चक्र की १० शक्तियों में से एक),  भविष्य ३.२.२२.१९ (यज्ञ में हिंसा न करने पर तामसी देवी का नगर में प्रकोप, मोहन द्वारा अष्टक से तुष्टि), वायु २०.२(ओङ्कार की ३ मात्राओं में द्वितीय मात्रा), ४४.१७(केतुमाल देश की नदियों में से एक), ६६.८५/२.५.८६(ब्रह्मा के सात्त्विक, राजसिक व तामसी तनुओं में अन्तर का वर्णन), ८४.१२/२.२२.१२(तामसी पूतना : कलि - पुत्र सद्रम की पत्नी), हरिवंश २.११९.१९ (नारद द्वारा चित्रलेखा को लोकप्रमोहिनी तामसी विद्या प्रदान ; तामसी विद्या ग्रहण कर चित्रलेखा का अनिरुद्ध को द्वारका से शोणित पुर ले जाना), वा.रामायण ७.२५.१० (माहेश्वर यज्ञ के अनुष्ठान के उपरान्त मेघनाद को तामसी नामक माया की प्राप्ति ) । taamasee/ tamasi

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